लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2718
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

PART - B

अध्याय -  6
गृह प्रबन्धन का परिचय

(Introduction to Home Management) 

घर के कार्यों तथा उद्देश्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए गृह प्रबंधन आवश्यक है वस्तुतः गृह प्रबन्धन ही घर की एक ऐसी कुँजी है जिसके द्वारा घर में सफलता ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। सामान्यतः प्रत्येक गृहिणी 'गृह प्रबन्धन' के अर्थ से परिचित होती हैं। सरलतम शब्दों में जो साधन हमारे पास हैं, उसका उपयोग तथा जो कुछ हम प्राप्त करना चाहते हैं, उसे प्राप्त करने को ही प्रबन्ध कहा जाता है। साधनों के अन्तर्गत मानवीय तथा अमानवीय दोनों प्रकार के संसाधन आते हैं। मानवीय साधनों के अन्तर्गत रुचि, ज्ञान, योग्यता, कुशलता अभिवृत्तियाँ तथा समय आदि आते हैं जबकि धन, भौतिक वस्तुयें तथा सामुदायिक सुविधायें आदि मुख्य अमानवीय साधन हैं।

गृह प्रबंधन का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। इसके अन्तर्गत परिवार के साधनों का आयोजन संगठन, नियंत्रण तथा मूल्यांकन की क्रियायें आती हैं। जिनके द्वारा पारिवारिक उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है। फिर भी प्रबंध एक साधन मात्र हैं।, साध्य नहीं, क्योंकि प्रबंध का मुख्य उद्देश्य पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति करना ही होता है।

गृह प्रबंधन का महत्त्व परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए होता है। यदि कोई परिवार समुचित गृह प्रबंधन द्वारा संचालित नहीं है तो पर्याप्त आय एवं साधन होते हुए भी परिवार में अभाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और अधिकांश आवश्यकतायें असंतुष्ट रह सकती हैं। आवश्यकतायें पूरी न होने पर परिवार का माहौल खराब होता है। जिसके परिणाम स्वरूप सदस्यो में कलहपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसका बुरा प्रभाव बच्चों के पालन-पोषण तथा विकास पर पड़ता है।

पारिवारिक जीवन में दर्शन व्यक्ति या समूह के व्यवहार का निर्देशक होता है। यह दर्शन ही परिवार के सभी सदस्यों के जीवन, विचारों, भावनाओं तथा अनुभवों को अर्थ प्रदान करता है और | जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है। गृह प्रबन्धन में इसके सिद्धान्तों के साथ-साथ पारिवारिक बजट की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वास्तव में यदि गृहिणी घर का बजट आवश्यकताओं के क्रमानुसार बनाती हैं तो वह गृह प्रबंधन में आने वाली बाधाओं का भी सफलतापूर्वक निराकरण कर लेती हैं।

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

• गृह प्रबंध का शाब्दिक अर्थ है - 'घर की व्यवस्था' । घर की यह व्यवस्था गृहिणी पर ही आश्रित होती है।
• गृह प्रबंध ही घर की एक ऐसी कुंजी है जि सके द्वारा घर में सफलता ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।
• सरल शब्दों, "जो साधन हमारे पास हैं उनका उपयोग और जो कुछ हम प्राप्त करना चाहते हैं, उसे प्राप्त करने को ही प्रबंध कहा जाता है।
• प्रबंध के अन्तर्गत मानवीय तथा अमानवीय दोनों प्रकार के साधन आते हैं। मानवीय साधन के अन्तर्गत रुचि, ज्ञान, योग्यता, कुशलता अभिवृत्तियाँ और समय आदि आते हैं जबकि धन, भौतिक वस्तुयें और सामुदायिक सुविधायें आदि अमानवीय साधनों के अन्तर्गत आते हैं। इन सभी साधनों के उपयोग से जब अपेक्षित पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति हो जाती हैं तो उसी प्राप्ति को ही 'प्रबंध' कहा जाता है।
• ग्रास तथा क्रेण्डल ने गृह प्रबंध को निर्णयों की एक ऐसी श्रृंखला माना है जिसमें पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पारिवारिक साधनों का उपयोग किया जाता है।
• गृह प्रबंधन में पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पारिवारिक साधनों (मानवीय और अमानवीय) का प्रयोग किया जाता है।
• गृह-प्रबंधन की प्रक्रिया के रूप से तीन चरण हैं-
   (1) आयोजन
   (2) नियंत्रण तथा
   (3) मूल्यांकन ।
• आयोजन में कार्य की लिखित रूपरेखा की जाती है।
• नियंत्रण के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्य को प्रारम्भ करना, उस पर नियंत्रण रखना तथा यह देखना आता है कि कार्य ठीक से हो रहा है या नहीं। यदि कार्य ठीक से न हो रहा होता हो तो उसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन करना ही नियन्त्रण है ।
• जो कार्य किया जा चुका है उसके परिणाम तथा उसमें रह गयी त्रुटियों का पता लगाना और उन त्रुटियों को भविष्य में हटाना ही मूल्यांकन हैं।
• गृह प्रबन्धन एक मानसिक प्रक्रिया है जिसकी सहायता से आयोजन, नियंत्रण और मूल्यांकन करके तथा परिवार के भौतिक और अभौतिक साधनों का उपयोग करके पारिवारिक उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है।
• निकिल तथा डोर्सी के अनुसार, “गृह प्रबन्धन के अन्तर्गत परिवाद के साधनों का आयोजन, संगठनं, नियंत्रण एवं मूल्यांकन आता है जिसके द्वारा पारिवारिक उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है। "
• एम. गुडइयर के अनुसार, “यह प्रबंध वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा परिवार अपने मूल्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति भौतिक और अभौतिक साधनों की सहायता द्वारा करते हैं।
• डिकिंस के अनुसार, "गृह प्रबन्ध वह कला है जिसके द्वारा घर के विभिन्न कार्यों को कम से कम समय, श्रम, शक्ति तथा धन के विनियोग द्वारा सम्पन्न करते हुए पारिवारिक जीवन को सुखी बनाने का प्रयत्न किया जाता है। "
• गृह प्रबन्धन के संम्बन्ध में निम्न भ्रांतियाँ हैं-
   (क) प्रबन्ध का अर्थ केवल कार्य संपादन ही होता है।
   (ख) प्रबन्ध समूह के नेता तक ही सीमित होता है।
   (ग) अच्छे प्रबन्धक जन्मजात होते हैं।.
   (घ) प्रबंध एक साध्य है, एक साधन मात्र नहीं ।
   (ङ) प्रबंध द्वारा ही परिवार के लक्ष्यों को निर्धारित किया जा सकता है।
• किसी परिवार में गृह प्रबन्ध के तीन उद्देश्य होते हैं -
   (1) सौन्दर्य
   (2) अभिव्यंजकता तथा
   (3) क्रियात्मकता ।
• एक गृहिणी को व्यवस्था सम्बन्धी निम्न जिम्मेदारियों का ध्यान रखना चाहिए-
   1. मूल्यों को सुस्थापित रखना और उन्हें आगे बढ़ाना,
   2. परिवार के लक्ष्य निश्चित करना,
   3. परिवार के सदस्यों के साथ अच्छे सम्बन्ध रखना,
   4. योग्यतायें, कौशल तथा ज्ञान में वृद्धि करना,
   5 परिवार के सदस्यों का शैक्षणिक तथा सामाजिक विकास करना,
   6. घर के लिए उपयुक्त सामग्री का चयन करना,
   7. परिवार के लिए आवश्यक समान तथा सेवा सुविधाओं का चयन करना,
   8. परिवार के लिए पौष्टिक आहार का चयन करना ।
• गृह प्रबंध के विकास के मार्ग में आने वाली मुख्य बाधायें निम्न हैं-
• प्रबंध प्रक्रिया के प्रति अनभिज्ञता,
• सभी संभावित साधनों के प्रति परिवार का सजग न होना,
• प्रबंधक लक्ष्यों से संबोधित न होना,
• प्रबंधकीय समस्याओं के तैयार हल (समाधान) की इच्छा होना ।
• प्रबंधकीय निर्णयों के लिए आवश्यक जानकारी का अभाव ।।
• गृह व्यवस्था का पहला सिद्धान्त आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति है।
• आवश्यक आवश्यकताओं में निम्न को शामिल किया जाता है-
   1. भोजन
   2. वस्त्र
   3. मकान
   4. घर में पर्याप्त कार्य, उचित अवकाश, विश्राम एवं मनोरंजन का प्रबंध
   5. घर का वातावरण |
• घर - व्यवस्था के अन्य सिद्धान्त निम्न हैं-
   1. परिवार के आय-व्यय को संतुलित रखना।
   2. बजट तैयार करना एवं हिसाब लिखना ।
   3. परिवार के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी।
   4. गृहकार्यों को कुशलतापूर्वक सम्पन्न करना।
• बजट बनाने के लिए मूल सिद्धान्त निम्न प्रकार से हैं-
• गृहिणी को परिवार में आने वाली मासिक आय का पूरा ज्ञान होना चाहिए ।
• गृह की विभिन्न आवश्यकताओं का क्रमानुसार ज्ञान होना चाहिए ।
• परिवार के आय को विभिन्न व्यय में बाँटते समय भविष्य के लिए थोड़ी बचत का प्रावधान भी बजट में होना चाहिए।
• बजट एक निश्चित समय के लिए बनाना चाहिए। एक माह के लिए बजट बनाना लाभप्रद होता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 परिधान एवं वस्त्र विज्ञान का परिचय
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 तन्तु
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 सूत (धागा) का निर्माण
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 तन्तु निर्माण की विधियाँ
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 वस्त्र निर्माण
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 गृह प्रबन्धन का परिचय
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 संसाधन, निर्णयन प्रक्रिया एवं परिवार जीवन चक्र
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 समय प्रबन्धन
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 शक्ति प्रबन्धन
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 धन प्रबन्धन : आय, व्यय, पूरक आय, पारिवारिक बजट एवं बचतें
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 कार्य सरलीकरण एवं घरेलू उपकरण
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book